नॉवेल मल्टी-मॉडल नैनोबायोटिक प्लेटफॉर्म विकसित किया

रुड़की, । जीवाणु रोगजनकों के विरुद्ध एक नॉवेल शस्त्रागार विकसित करने की चुनौती को पार करना कठिन बना हुआ है। हालांकि, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) की एक शोध टीम ने एक मल्टीमॉडल नैनोबायोटिक प्लेटफॉर्म विकसित करने की रणनीति अपनाई, जो बैक्टीरिया के रोगजनकों का मुकाबला करता है। नैनोप्लेटफॉर्म मल्टीड्रग-प्रतिरोधी जीवाणु रोगजनकों को कम करने के लिए एक खाद्य-ग्रेड पेप्टाइड (सामान्य रूप से सुरक्षित- जीआरएएस श्रेणी के जीवाणु, पेडियोकोकस पेंटोसेअस के रूप में मान्यता प्राप्त एक रोगाणुरोधी पेप्टाइड) की सहक्रियात्मक जीवाणुरोधी गतिविधि का लाभ उठाता है। प्रौद्योगिकी मंच को स्वास्थ्य क्षेत्र और खाद्य पैकेजिंग में अनुप्रयोगों के लिए दिखाया गया है।
टीम ने चांदी के नैनोकणों को डेकोरेट करने के लिए पीडियोसिन का इस्तेमाल किया; जो कि बैक्टीरियोसिन क्लास के अंतर्गत आता है एवं एक दोधारी नैनो-प्लेटफ़ॉर्म को विकसित किया जिसमें दोनों जीवाणुरोधी के आंतरिक गुण मौजूद हैं, तथा जो कि बैक्टीरिया के रोगजनकों के एक व्यापक स्पेक्ट्रम के खिलाफ आश्चर्यजनक रूप से उच्च जीवाणुरोधी शक्ति प्रदान करता है। पीडी-एसएनपी की बढ़ी हुई रोगाणुरोधी गतिविधि जीवाणु कोशिका दीवार के साथ उनके उच्च मेल के कारण होती है, जो पीडी-एसएनपी को बाहरी झिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति देती है, जिससे झिल्ली कोशिका के विद्युत आवेश वितरण में बदलाव होता है तथा झिल्ली अखंडता का विघटन होता है। जानवरों पर प्रयोगों के नियंत्रण और पर्यवेक्षण के उद्देश्य के लिए समिति (भारत सरकार, नई दिल्ली) के दिशानिर्देशों के अनुसार, आईआईटी रुड़की की संस्थागत पशु आचार समिति के अनुपालन में सभी पशु प्रयोग आयोजित किए गए थे। आईआईटी रुड़की से अध्ययन में योगदान देने वाली शोध टीम में प्रोफेसर नवीन कुमार नवानी, केमिकल बायोलॉजी लेबोरेटरी, बायोसाइंसेज औरबायोइंजीनियरिंग विभाग और एडजंक्ट फैकल्टी, सेंटर ऑफ नैनो टेक्नोलॉजी, आईआईटी रुड़की, पीयूष कुमार, अरशद अली शेख, प्रदीप कुमार, रजत ध्यानी, तरुण कुमार शर्मा, अजमल हुसैन, रासायनिक जीवविज्ञान प्रयोगशाला, बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की, विवेक कुमार गुप्ता, रंजना पठानिया, आणविक जीवाणु विज्ञान और रासायनिक आनुवंशिकी प्रयोगशाला, बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की; कृष्णकांत गंगेले, कृष्ण मोहन पोलुरी, मैकेनिस्टिक बायोलॉजिकल केमिस्ट्री लेबोरेटरी, बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की शामिल रहे।

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